Wednesday, March 28, 2012


उड़ो मत, ममता आ जाएंगी

रेल की पहचान अब छुक-छुक की आवाज से नहीं, किच-किच से होती है। किच-किच यूपीए और उसकी सहयोगी ममता बनर्जी के बीच, किच-किच ममता बनर्जी और उनके उत्तराधिकारी रहे दिनेश त्रिवेदी के बीच, किच-किच प्रधानमंत्री और नए रेल मंत्री के बीच। रेल की पहचान अब सीटी से नहीं होती। सीटी साइरन में बदल चुकी है। चेतावनी में बदल चुकी है। खतरे में बदल चुकी है। अब साइरन की सूं-सूं के साथ ममता आती हैं। अपना हिस्सा मांगने। पैकेज दो, फंड दो, ग्रांट दो। नहीं तो किच-किच।

रेल अब राष्ट्रीय संपत्ति नहीं है। लगता है, ममता बनर्जी की संपत्ति है। कांग्रेस को उनकी सीधी चुनौती मिलती है-सरकार तुम्हारी है तो क्या, रेल तो मेरी है। मैं जैसे चाहूंगी, उसे चलाऊंगी। जिससे चाहूंगी, चलवाऊंगी। नहीं दिनेश त्रिवेदी अच्छा नहीं चला रहे, मैं मुकुल राय से चलवाऊंगी। अब मंत्री पद देना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार नहीं रह गया है। वह ममता बनर्जी का विशेषाधिकार हो गया है।

प्रधानमंत्री मुकुल राय को रेल मंत्री नहीं बनाना चाहते थे, क्योंकि रेल राज्य मंत्री रहते हुए उनके कहने पर वह एक बार एक दुर्घटनास्थल पर स्थिति का जायजा लेने नहीं पहुंचे थे। इसी से समझो छींका दिनेश त्रिवेदी के भाग्य का टूटा। पर ममता ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए मुकुल राय को आखिर रेल मंत्री बनवा ही दिया। इस प्रकरण से एक सीख मिलती है कि सहयोगी पार्टी का कोई भी मंत्री भूलकर भी राहुल जी से मिलने न पहुंंचे, वरना उसका हश्र भी दिनेश त्रिवेदी जैसा हो सकता है।

इधर ऐसा लगने लगा है कि सरकार कांग्रेस नहीं, बल्कि उसकी सहयोगी पार्टियां चला रही हैं। कहीं यह रेल का कमाल ही तो नहीं है? सहयोगी पार्टियां कांग्रेस को गब्बर स्टाइल में डराती रहती है-ज्यादा मत उड़ो, वरना ममता आ जाएंगी। यह दर्द इतना ज्यादा है कि प्रधानमंत्री संसद में बयां करने से भी नहीं चूकते। सारे देश को उनका दर्द समझना चाहिए।

अब इस रेल का कमाल यह है कि दुर्घटनाग्रस्त सिर्फ रेल ही नहीं होती। रेल मंत्री भी हो जाता है। और उसके लिए उसे कोई मुआवजा भी नहीं मिलता। दिनेश त्रिवेदी सेफ्टी-सेफ्टी रटते रहे, पर अपनी सेफ्टी भी नहीं कर पाए। अर्थशास्त्रियों को डर है कि रेल बरबाद हो रही है। सेफ्टी का तो हाल यह है कि नए रेल मंत्री का स्वागत रेल दुर्घटना से हुआ है। इस किच-किच, हाय-तौबा और चीख-पुकार के बीच नए रेल मंत्री का स्वागत है।

Tuesday, January 17, 2012

HOW TO BEAT HONEST




In our Bharat Mata there was always a tradition that how to beat an honest. See Baba Ramdev ink thrown case , see prashant bhusan chamber beaten case , see Salman Rushdie case you will feel there are lot of anomalies in our Country Bharat Mata. . Many obscene pictures and provocative information are being shared in dailies. Attrition is high among social workers. A truly considerate government is always mindful  of the needs of Society, But in india the Scene is different . The Public is always regaled with delicious false promises. Believe me Folks if anyone interested in writings so please write a book "How to Beat Honest" definitely it would be high selling among others.































































Monday, January 16, 2012

Cheap Publicity Stunt


Fully "tu tu mai mai" over the issue of   Salman Rushdie . Congress led Jaipur Government is fully jittered  over the issue of Mr. Salman arrival. But Now the buzz is that Mr. Salman is not arriving in Jaipur literature Festival . Why he skipped his visit , no official confirmation about  from Mr. Salman Rushdie. I think Mr. Rushdie persuaded to stay away from the Literature fest. This is a shame on Indian politics. This is not first time when he is arriving India after 1988 when his book "The Satanic Verses" firstly banned by India. This is not the issue of Security check but the issue of  slimy cowardice of soft Rajashthan and Cheap publicity of political parties who are doing this for few votes of Muslim Community.